पत्रकार जी परेशां है ......दिन रात सोचते है की कौन घड़ी मे चोरी वाला बालू चुराने का ख्याल आया था। मुआ चोरी के चक्कर मे इज्ज़त के साथ साथ धंधा भी चौपट हो गया ....रोना चाहे रो न पाए दिल कितना मजबूर है .....यही गाना बेचारे नब्बू पत्रकार भाई आज कल गा रहे है। दरअसल हुआ ये की लखीसराय मे आई एक महिला पुलिस अधिकारी को किसी ने खबर पहुंचा दिया की .....मैडम जी ....लखीसराय थाना में एक नहीं तीन थानेदार आज कल बैठते है। मैडम सोच मे पर गई .....एक थाना और तीन थानेदार ...जाँच के बाद पता चला की एक थानेदार पुलिस वाला दूसरा पत्रकार तीसरा पवनसुत दा . मैडम को आ गया गुस्सा ....बस क्या था मैडम ने पत्रकार साहब को थाना से बेज्जत करवा के बाहर निकाल दिया। गुस्सा के मारे मैडम जी ने पत्रकार साहेब के उजरका बोलेरो को भी थाना मे लगाने से मना करवा दी .....अब आपही बताइए की आप सुबह से शाम तक थाना मे बैठ कर पुलिस वाला सारा काम कीजियेगा तो पुलिस क्या करेगा।अब लीजिये दुसरे का काम करने के चक्कर मे अपना काम ख़राब हो रहा है।पहले दलाली करके डी एम् तक पैरवी होता था।।।अब हाय रे किस्मत अपना ट्रेक्टर नहीं थाना से छुट रहा है ....उहे थाना मे जहा दिन भर बैठ के ...दोसर से पूछते थे। क्या बात है रे ला इधर दे ...क्या काम है रे,काहे थाना आया है।पत्रकार साहब के ट्रेक्टर को मैडम जी चोरी का बालू ले जाते पाकर ली है .................और बोल दी है की चोर चाहे जो कोई भी हो कानून अपना काम करेगा ......अब भाई जी परेशां है .....................पुराना दिन याद कर रहे है की कैसे क पुराना अटैची लेकर आये थे ......यंहा दलाली और चोरी के पांच स्वर्णिम साल के बाद ट्रेक्टर ,बोलेरो ,रायफल सब सम्पति बनाये ....लेकिन सब रख हो गया रे बाप्पा ......अब तो पान दोकान वाला भी कह देता है की बालू चोर पत्रकार इधर आओ .......लाठी वाला होमगार्ड तक अब हस्त है रे बाप्पा .......पत्रकार जी जार जार रोते है ........आजा तुझको पुकारे मेरे मित रे,मेरे गीत रे ...............आजा मेरे प्यारे ट्रेक्टर रे आजा रे आजा ........
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