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गुरुवार, 16 फ़रवरी 2012


इस ब्लॉग पर आने वाले पाठकों से अनुरोध है की वो अगर  लखीसराय जिले की अखबारी भाषा वालें ताजे  ख़बरों का मजा लेना चाहते है....तो  कृपया साइड बार मैं दिए गए "लखीसराय समाचार " पेज पर जाएँ....ब्लॉगर का दाबा है की शर्तिया तौर पर आप सबसे पहले लखीसराय जिले की ख़बरें इस पेज पर पाएंगे ...............

बीमार पत्रकार से बीबी बोली.............

चुटकुला

बीमार पत्रकार से बीबी बोली
बीबी :इस बार कोई जानवरों के डॉक्टर को दिखाओ तभी आप ठीक होगे .
पत्रकार :काहे जी ......?
बीबी :रोज सुबह मुर्गे की तरह जल्दी उठ जाते हो, घोड़े की तरह भाग कर प्रेस जाते हो, गधे की तरह दिन भर कम करते हो, लोमड़ी की तरह इधर -उधर से खबर लाकर रिपोर्ट बनाते हो, बन्दर की तरह बॉस के इशारे पर नाचते हो,घर आकर परिवार पर कुत्ते की तरह चिलाते हो,और फिर भैंसे की तरह सो जाते हो .......इंसानों का डॉक्टर क्या तुम्हे खाक ठीक करेगा .......................

लखीसराय में शराब ने चौथा खम्भा के नस्ल को बर्बाद कर दिया है .....पार्ट -2


आगे ........
मैं ऐसा इस लिए कह रहा हूँ की आप अगर आजीविका के लिए कोई नौकरी या फिर रोजगार करते है तो इस आर्थिक युग में जब बंधू पैसा ही सब कुछ बोलता है....आप ज्यादा से ज्यादा माल मिलने वाले पेशे में जायेंगे ....माल पानी जेब में होगा तो घर में भी शांति और बहार भी शांति .....पैसे कमाने की ललक हर किसी को होती और कम से कम लखीसराय में तो है ही ....अगर नहीं होती तो जरा गौर करिए.....पुरानी बाज़ार थाना चौक के समीप एक शोरूम हुआ करता था ....टीपिएस बजाज का इसके मालिक बाबु टीपि सिंह का एक गांजे का गैंग था ....इस गैंग में शामिल हुआ करता था शल्लू...शायद ही कोई युवक शल्लू को नहीं जानता हो .....दिन भर में 30 से 35 चिलम गांजा पीने के बाद  अगर दारु या बियर मिल जाये तो वो, भी हलक के नीचे. शल्लू को जानने वाला हर इंसान सोचता यही होगा की इस युवक की ज़िन्दगी नशे के गिरफ्त में ही रह जाएगी ....लेकिन पैसे कमाने की ललक ने  उसे दिल्ली खिंच लाइ ....और आज वो नशेरी ...एक शिक्षक है और बंच्चों को पढ़ा कर अपना और अपने घरवाली की  ज़िन्दगी ठाठ से चला रहा है .....तो कहने का ये मतलब है की पैसे के लिए सब कुछ करता है इन्सान ......अब जरा चाँदी पर बल दीजिये ...और सोचिये की अगर कोई शौक से बिना पैसा वाला काम चुने और वो भी शौकिया नहीं वल्कि परिवार चलाने के लिए तो भला कैसे परिवार चलेगा.....दैनिक जागरण अख़बार के ब्यूरो प्रमुख के अलावा लखीसराय में तनख्वाह वाला खबरची भाई कोई नहीं है.......सब लोगों को मानदेय मिलता है.....मानदेय की राशी इतनी है की भाई लोग और महीने भर पेट्रोल अगर बाईक में डलवा लें .....तो दाढ़ी बनाने के पैसे के अलावा ...पान और सिगरेट का भी  पैसा न बच्चे ....घर खर्च तो छोर ही दीजिये ....एक बात और साफ़ कर दें ....की बाबा बिसेस्वर यानी प्रिंसपल साहेब ही एक मात्र ऐसे पत्रकार थे ...जो जमींदार या फिर ऐसे परिवार से थे जिनको पत्रकारिता के पैसे की रोटी नहीं चाहिए थी.......आज के दौर में जिले में कोई भी कलमची ..52 बीघा पुदीना वाले परिवार से नहीं है......हर एक को खुद ही रोजी रोटी चलाने की जिम्मेदारी है ...फिर भी बिना पैसे या ऊंट के मुह में जीरा जैसे मानदेय पर ...जोर शोर से चौथा खम्भा का झंडाबरदार बना हुआ है.......बंधू आप के मन में सवाल उठ रहा होगा की किसी का घर कैसे चलता है ये उसका निजी मामला है हमें क्या .....लेकिन आप भूल कर रहे है ....पत्रकारों की भूमिका समाज में वाच डॉग वाली है ...और अगर डॉग भूखा हो तो आप ......समझ लीजिये वो किसी को भी अपना शिकार बना सकता है .....और ये लोकतंत्र के लिए पाकिस्तानियों से ज्यादा खतरनाक है....खैर आगे बढ़ते है ....और आप को ये बता देते है की भुखमरी वाली स्थिति के बाबजूद लोग पत्रकार किउन बनाना चाहते है .......देखिये छोटे से इलाके  में आप जैसे ही पत्रकार बनते है "आप आम से खास हो जाते है "....थाना पुलिस...डीएम् ...एस पी, अधिकारी से लेकर नेता मंत्री तक आपके नाम के पीछे "जी " लगा कर संबोधित करता है.....बस यही वो आम से खास वाला चीज है जो आप को गर्त में ले जाता है .....पत्रकार साहब घर से निकले ...किसी चौक चौराहे पर खड़ा हुए....तुरंत उनसे लोग पूछ लेता है ....पत्रकार साहब ...पान चाय सिगरेट ...कुछ चलेगा क्या .......?
जारी है............