हमें संपर्क करें -Email-newslkr.com@gmail.com or +919431468061
LAKHISARAI BREAKING NEWS .
.
LAKHISARAI ADVERTISEMENT@ सूचना@विज्ञापन के लिए संपर्क करें -9431468061 -- .
.

गुरुवार, 16 फ़रवरी 2012

लखीसराय में शराब ने चौथा खम्भा के नस्ल को बर्बाद कर दिया है .....पार्ट -2


आगे ........
मैं ऐसा इस लिए कह रहा हूँ की आप अगर आजीविका के लिए कोई नौकरी या फिर रोजगार करते है तो इस आर्थिक युग में जब बंधू पैसा ही सब कुछ बोलता है....आप ज्यादा से ज्यादा माल मिलने वाले पेशे में जायेंगे ....माल पानी जेब में होगा तो घर में भी शांति और बहार भी शांति .....पैसे कमाने की ललक हर किसी को होती और कम से कम लखीसराय में तो है ही ....अगर नहीं होती तो जरा गौर करिए.....पुरानी बाज़ार थाना चौक के समीप एक शोरूम हुआ करता था ....टीपिएस बजाज का इसके मालिक बाबु टीपि सिंह का एक गांजे का गैंग था ....इस गैंग में शामिल हुआ करता था शल्लू...शायद ही कोई युवक शल्लू को नहीं जानता हो .....दिन भर में 30 से 35 चिलम गांजा पीने के बाद  अगर दारु या बियर मिल जाये तो वो, भी हलक के नीचे. शल्लू को जानने वाला हर इंसान सोचता यही होगा की इस युवक की ज़िन्दगी नशे के गिरफ्त में ही रह जाएगी ....लेकिन पैसे कमाने की ललक ने  उसे दिल्ली खिंच लाइ ....और आज वो नशेरी ...एक शिक्षक है और बंच्चों को पढ़ा कर अपना और अपने घरवाली की  ज़िन्दगी ठाठ से चला रहा है .....तो कहने का ये मतलब है की पैसे के लिए सब कुछ करता है इन्सान ......अब जरा चाँदी पर बल दीजिये ...और सोचिये की अगर कोई शौक से बिना पैसा वाला काम चुने और वो भी शौकिया नहीं वल्कि परिवार चलाने के लिए तो भला कैसे परिवार चलेगा.....दैनिक जागरण अख़बार के ब्यूरो प्रमुख के अलावा लखीसराय में तनख्वाह वाला खबरची भाई कोई नहीं है.......सब लोगों को मानदेय मिलता है.....मानदेय की राशी इतनी है की भाई लोग और महीने भर पेट्रोल अगर बाईक में डलवा लें .....तो दाढ़ी बनाने के पैसे के अलावा ...पान और सिगरेट का भी  पैसा न बच्चे ....घर खर्च तो छोर ही दीजिये ....एक बात और साफ़ कर दें ....की बाबा बिसेस्वर यानी प्रिंसपल साहेब ही एक मात्र ऐसे पत्रकार थे ...जो जमींदार या फिर ऐसे परिवार से थे जिनको पत्रकारिता के पैसे की रोटी नहीं चाहिए थी.......आज के दौर में जिले में कोई भी कलमची ..52 बीघा पुदीना वाले परिवार से नहीं है......हर एक को खुद ही रोजी रोटी चलाने की जिम्मेदारी है ...फिर भी बिना पैसे या ऊंट के मुह में जीरा जैसे मानदेय पर ...जोर शोर से चौथा खम्भा का झंडाबरदार बना हुआ है.......बंधू आप के मन में सवाल उठ रहा होगा की किसी का घर कैसे चलता है ये उसका निजी मामला है हमें क्या .....लेकिन आप भूल कर रहे है ....पत्रकारों की भूमिका समाज में वाच डॉग वाली है ...और अगर डॉग भूखा हो तो आप ......समझ लीजिये वो किसी को भी अपना शिकार बना सकता है .....और ये लोकतंत्र के लिए पाकिस्तानियों से ज्यादा खतरनाक है....खैर आगे बढ़ते है ....और आप को ये बता देते है की भुखमरी वाली स्थिति के बाबजूद लोग पत्रकार किउन बनाना चाहते है .......देखिये छोटे से इलाके  में आप जैसे ही पत्रकार बनते है "आप आम से खास हो जाते है "....थाना पुलिस...डीएम् ...एस पी, अधिकारी से लेकर नेता मंत्री तक आपके नाम के पीछे "जी " लगा कर संबोधित करता है.....बस यही वो आम से खास वाला चीज है जो आप को गर्त में ले जाता है .....पत्रकार साहब घर से निकले ...किसी चौक चौराहे पर खड़ा हुए....तुरंत उनसे लोग पूछ लेता है ....पत्रकार साहब ...पान चाय सिगरेट ...कुछ चलेगा क्या .......?
जारी है............

2 टिप्‍पणियां:

  1. वाह भाई इतने गंभीर विषय को भी इतने हल्के अंदाज में लिख रहे हो, बहुत खूब... जी लगा कर आम से खास बनने का दंभ और बीस बीधा पुदिना दोनों बातों ने करारा व्यंग है।

    पर एक बात मैं लिख रहा हूं जो बरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर एक सेमिनार में कही थी और पत्रकारिता का इतिहास भी बाद में उठा कर पढ़ना फिर कुछ लिखने से पहले सोंचना.. गंभीरता से।
    नैयर साहब ने कहा कि पत्रकारिता राष्ट्र सेवा है और इसे पेशा नहीं बनाना चाहिए, पत्रकारिता में रहने से भले ही बच्चे की दवा भी न मिल और अच्छे स्कूल में न पढ़े पर इसे पेशा मत बनाना, बदनाम नहीं करना।
    बेइमानी करने के लिए बहुत से पेशे है......इसे बख्श दो...

    जवाब देंहटाएं
  2. वाह भाई इतने गंभीर विषय को भी इतने हल्के अंदाज में लिख रहे हो, बहुत खूब... जी लगा कर आम से खास बनने का दंभ और बीस बीधा पुदिना दोनों बातों ने करारा व्यंग है।

    पर एक बात मैं लिख रहा हूं जो बरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर एक सेमिनार में कही थी और पत्रकारिता का इतिहास भी बाद में उठा कर पढ़ना फिर कुछ लिखने से पहले सोंचना.. गंभीरता से।
    नैयर साहब ने कहा कि पत्रकारिता राष्ट्र सेवा है और इसे पेशा नहीं बनाना चाहिए, पत्रकारिता में रहने से भले ही बच्चे की दवा भी न मिल और अच्छे स्कूल में न पढ़े पर इसे पेशा मत बनाना, बदनाम नहीं करना।
    बेइमानी करने के लिए बहुत से पेशे है......इसे बख्श दो...

    जवाब देंहटाएं