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शुक्रवार, 17 फ़रवरी 2012

टन टन टन की जीत से काहे परेशां हैं उलाला चाचा .......

बात दियारा इलाके की है ...सुर्जिचक के उस पार एक गावं है भगवन राम के नाम पर .....अजी गावं क्या नगर है ...नगर ....गावं में ही बाज़ार है,अस्पताल है और  तो और बच्चा पार्टी के पढने लिखने के लिए प्रायमरी स्कूल से लेकर हाई स्कूल तक है....एक कमी था पुल का तो वो भी सुपर सी एम् बनवा ही दिए  ....अब तो विद्यापीठ से नीचे उतरिये ...गाडी या मोटरसाइकिल में टॉप गियर लगाके गावं पहुँच जाइये .....दियारा में आज़ादी के बाद सबसे बड़का मुद्दा चुनाव में इ पुल ही होता था......पुल बनवाने के नाम पर नेता जी लोग यंहा के सीधे साधे और मीठी बोली बाले  दिरवारी मतदाता भाई  लोगों का वोट ले लेते थे....वोट का बात चला है तो सुनिए ......दियारा इलाके में बहुत जायदा संख्या में नेता जी कभी नहीं हुए.....गिन चुन कर  ऊँगली पर आप नाम जोड़ सकते है ....एक दसक में बहुत से बहुत एक दर्जन ......वो भी सत्ता पक्ष और विपक्ष मिला कर ..........इसी पावन धरती से जुड़े रहे उलाला चाचा जी ......जे पी आन्दोलन से तो हमको पता है लेकिन हो सकता है की वो उससे भी सीनयर इण्डिया नेता जी हो.... मृदु स्वाभाव के उलाला चाचा जी कभी किसी का नुकसान किये हो ऐसा मुझे नहीं पता है .....लेकिन कानाफूसी का क्या कीजयेगा लोग तो करता ही है ....वैसे  तो चाचा जी पर घूसखोरी या पैसा लेने का आरोप कभी नहीं लगा है ....लेकिन चचा के बारे में लोग कहता है की ...थाना पुलिस वाला मामला में पैरवी पैगाम करते थे.....सच क्या है भगवन मालिक ....लेकिन इतना तय है की चाचा जी खुद के लिए कभी किसी से कुछ नहीं लिए है ..हां जिले की राजनीती में अपने जेब से ही  पैसा खर्च कर हस्ती जरुर बने रहे ......यही बजह है की जब दियारा वाले पूर्व बिधायक जी से उलाला चाचा के बारे में पूछियेगा तो वो कहेंगे की....."इ जे पांच गो  छै सुपर सी एम् के साथे  इ हे  ओकर जहाज डूबा देते .....उलाला के तो हम जानय छिय ...वोट छै एक को गो नै लेकिन कुर्त्ता झार के नेता बनल छै "...हलाकि विधायक जी का ये दर्द इसलिए भी है किउन की उलाला चचा    पहले उन के साथ थे ...लेकिन बदलते वक़्त के साथ सुपर सी एम् के साथ हो लिए ......नितीश सरकार में सुपर सी एम् की चलती जो भी भाई लोग देखा है उसको पता होगा की कैसे बीच बाज़ार से एक सौ गाड़ी का काफिला सांय सायं करके भागता था ...काफिला ऐसा की अगर आप लखीसराय बाज़ार में सड़क किनारे खरे है तो धुरी और गर्दा से मिर्ची वाला जलन आँख में होना शुरू हो जाता था ...खांसी और छींक तो पूछिये ही मत  ....पलन बाबु के  धकापेल चलती में उलाला चाचा अपने लिए तो कुछ नहीं बना पाए लेकिन साथ रहने बाले का खूब भला किया ......  बंधू  समय बदला पलन बाबु की चलती ख़तम हुई ......उलाला चाचा अब जाएँ तो जाएँ कंहा दरबार ख़तम ......इसी बीच पंचायत चुनाव में एक करिश्मा हुआ....पलन बाबू के समर्थक सब दियारा में हार गया और जितने वालों में एक ऐसा सख्स शुमार हो गया जिसके बारे में ...उलाला चाचा सपनो में नहीं सोचते थे ...और उसके जीत के साथ ही उलाला चाचा की परेशानी बढ़ने लगी .....हुआ ये की उलाला चाचा का अपना भतीजा टन टन टन पंचायत समिति बन गया ....वो भी उलाला चाचा के चेला को धरती पकड़ा कर .....कुछ दिन तक तो उलाला चाचा को विश्वास ही नहीं होता था की टन टन टन जीत गया है ......जब लोग सब उनको  चुटी काट कर भरोसा दिलाता था तब जाकर वो मानते थे .....खैर टन टन टन वंही नहीं रुका मेहनत और जुगाड़ के बदौलत बन गया दियारा का प्रमुख .....अरे बाप्पा इ का हो गया ....टन टन टन निर्विरोध प्रमुख बन गया ...इ खबर सुनके उलाला चाचा को आँखों के सामने अँधेरा छाता दिखा ......आप सोच रहे होंगे की भतीजा आगे बढ़ा तो चाचा को क्या दिक्कत हो सकता है भला .....तो सुनिए बंधू ....गावं में एक कहावत है " गोतिया और सतूआ महीन करने वाले का नाम होता है " यंहा तो गोतिया टन टन टन निर्विरोध जीत गया .....जीत के बाद टन टन टन पलन बाबु के साथ हो लिए ....अब मुश्किल ये हो गया है की कल तक पलन बाबु के दरवाजे पर खड़ा रहने वाला टन टन टन ...को साहेब ...प्रमुख साहेब अंदर आइये कह कर बुलाते है और उलाला चाचा को बहार रहना पड़ता है ....तो भैया टन टन टन के इस कहानी से आने वाले दिनों में वप लोग सतर्क हो जाएँ  और अपने गोतिया को पैर की धूलि न समझे ...वरना उलाला चाचा की तरह आप को भी गाना पड़ेगा ....मुझे लोग कहते हैं क़दमों की धूल...अगर आप छुन लें ...अगर आप छूं ले तो बन जाऊं  फूल....................   
प्रिये पाठकों इस ब्लॉग पर अब तक आप लखीसराय के पत्रकारिता जगत की ही अधिकांश चटपटी खबरे पढ़ रहे थे ...लेकिन अब थोडा ट्रैक चेंज करते हुए ...पत्रकार टाइप चीज से आगे बढ़ते हुए ...राजनीती का रुख करते है ...ऐसा इस लिए भी करना पड़ रहा है की ....कुछ पाठक बंधू लोगों ने पत्रकारिता जगत पर लिखे गए चटपटी ख़बरों को गुटबाजी का नतीजा समझा  है ...हलाकि ब्लॉगर की कोई मंशा ऐसी नहीं है की किसी भी ...खबरची भाई के चरित्र या फिर उनके व्यकतित्व को चोट पहुँचाया जाये ....इस ब्लॉग को शुरू करने  का एक मात्र मकसद है ..मसखरी के साथ लखीसराय की हर खबर से आप को  उपडेट करना ...शुरुआत में तो लगा था की वर्षों की तपस्या के बाद इस ब्लॉग को हिट करवाना संभव होगा ...लेकिन   सात दिनों में ही जिस तरह से लगातार इस ब्लॉग पर पाठकों की संख्या बढ़ रही है ...हम ने जिले में आ रहे कई अख़बारों के प्रसार संख्या को पीछे छोर दिया है .....आज,नवबिहार,सन्मार्ग,राष्ट्रीय सहारा,और प्रभात खबर , अब अपुन के इस ब्लॉग से पीछे है .....अगला निशाना हिंदुस्तान और दैनिक जागरण है ....अगर आप का प्यार ऐसे ही मिलते रहा तो यकीं मानिये इस महीने के अंत तक मसखरी का ये प्लेटफोर्म .....अखबार टाइप जिस से ज्यादा पाठक वर्ग बना लेगा ......