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सोमवार, 20 फ़रवरी 2012

दिल से दिल्ली हो और धरकन से हो लन्दन,लखीसराय मैं टीवी पत्रकार ढूंढ़ रहा है डैडी की दुल्हन


 ख़बर आप को अटपटी लग सकती है ,लेकिन सौ फीसदी सच है .....यकीन नहीं है तो चन्दन से पूछ लीजियेगा .....अरे वही चन्दन(चन्दन गन हॉउस वाला ),नहीं समझे चन्दन दा .....ख़बर वँही से लीक हुआ है....दरअसल एक पत्रकार उदास मुद्रा में बैठे थे ...रात वाली अंगूर की बेटी दिन निकलने के साथ उतर चुकी थी ...इसलिए जनाब सोच रहे थे की इस शहर में सगा सम्बन्धी तो बहुत मिले लेकिन काम का कोई मुआ नहीं निकला ...कुल मिलाकर 10 बरश तक पत्रकार के रूप में शहर की सेवा करने का फल जीरो .....पेट के साथ साथ घर की जरूरतों को पूरा करना भी जरुरी है लेकिन सबको सहारा देने वाला टी वी न्यूज़ चैनल तीन चार महीने में एक बार ही पैसे भेजता है ....और वो भी भेजे गये ख़बर को गिनती कर ...पैसे के बिना घर में चुल्हा चौका कैसे चले आदि आदि ...आँखे बंद कर पत्रकार साहब सिगरेट का धुंआ उड़ाते हुए सोच रहे थे की अगर नदिया के उस पार वाले नेता जी की कृपा नहीं होती तो ना जाने क्या होता ...खैर नदिया के पार वाले नेता जी की बदौलत सिर्फ पत्रकार ही नहीं बल्कि जिले में स्कोर्पियो और बोलेरो का मजा ले रहे कई सफेद्पोस लोगों का घर चलता है ....चले भी किउन नहीं ...बालू से सोना निकालने की हुनर तो सिर्फ विधायक जी के पास ही है....चलिए मुद्दे पर लौट चलें ..वर्ना बालू से सोना निकालने वाली ख़बर पर लिखने लगूं तो अरविन्द अडिगा की द व्हाइट टाइगर से मोटा माल तैयार हो जायेगा ...अभी अपुन उसके लिए तैयार नहीं है....तो भैया ...10 साल तक समय तो कट गया लेकिन बैंक बैलेंस और जमा पूंजी के नाम पर एक धेला भी नहीं बचा ...पत्रकार साहब का परिवार छोटा है इसलिए परेशानी भी कम ही हुई ...भगवान के कृपा की आश में बैठे रहे....बर्षों की सोमरस तपस्या के बाद भगवान को दया आई और भगवान ने पत्रकार रूपी अपने भक्त को कुछ धन जमा करने का सुअवसर दिया .....दरअसल हुआ ये की पत्रकार जी के पिता जी... जो अपनी पत्नी की मौत के बाद जयपुर में अपने बड़े बेटे के साथ रहते थे .....वो संयोग से इन्हें अपने गावं में दिख गये ....(दिखने शब्द के मर्म को समझना जरुरी है.).. पिता जी पत्रकार साहब को बिलकुल भी पसंद नहीं करते थे ..इसलिए गावं में आने जाने की ख़बर पत्रकार साहब को नहीं मिलती थी .....पत्रकार साहब अपने पिता श्री को गावं में देख कर लाटरी लगने जैसे ख़ुशी से चिला उठे ...तुरंत  अपने एक साथी को फ़ोन कर अपने गावं में मारुती वैगनार गाड़ी मंगाई ...पत्रकार साहब ने आनन् फानन में 70 साल के अपने डैडी को गाडी में बिठा लिया ...जबतक ख़बर बड़े बेटे को मिलती तब तक गाडी  से लखीसराय के लिए सरपट भाग चली...डैडी को डेरे पर लाया गया .....डैडी की सेवा में बहु और बेटे ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी....कुछ दिनों में पिता जी की बेटे से नाराजगी दूर जाती रही ...आप सोच रहे होंगे की इसमें ख़बर क्या है ...तो सुनिए बंधु ...पत्रकार साहब के रिटायर्ड प्रधानाचार्य है....उनका पेंशन 20000 के करीब है ....पत्रकार साहब से नाराज रहने के कारण अब तक पेंशन की रकम जयपुर वाले भैया और भाभी ले रहे थे....अब मौका इनके हाथ लगा है....पत्रकार साहब चाहते हैं की पिता श्री ज्यादा से ज्यादा दिन जिंदा रहें ताकि पेंशन की रकम से कुछ जमा पूंजी तैयार हो जाये ....अबकी तो ठंढी में डैडी ने साथ नहीं छोरा लेकिन आगे का क्या भरोसा ...इसलिए समय रहते पत्रकार साहब डैडी के लिए दुल्हन की तलाश कर रहे हैं .....दुल्हन मिली तो दो फायदा होगा ...डैडी की सेवा ठीक से होगी और साथ ही उनके आँगन में नए फूल खिलने की संभाबना बढ़ जाएगी ....दुल्हन मिली तो ठीक वरना शादी के आस में बाबु जी अपने आप को जवान फिल करेंगे ....तो पत्रकार साहब को अगर आप मदद कर सकते हैं तो कीजिये वरना वो तो गा ही रहे है ...जरुरत है जरुरत है जरुरत है ...कलावती की,श्रीमति की सेवा करे जो मेरे पिता और अपने पति की ....

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